हर किस्सा माखौल लगता है,
हर आह कोलाहल
ये कैसी सरज़मीं है
जहाँ कोई न ज़िन्दगी के सही मायनो का कायल
हर आह कोलाहल
ये कैसी सरज़मीं है
जहाँ कोई न ज़िन्दगी के सही मायनो का कायल
random thoughts, often not moving in a well defined and singular flow but nevertheless ideas that take pride in the fact that they are forward linkages of other ideas.
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