People always make the mistake of thinking art is created for them. But really, art is a private language for sophisticates to congratulate themselves on their superiority to the rest of the world. As my artist’s statement explains, my work is utterly incomprehensible and is therefore full of deep significance. - Calvin

Tuesday, August 10, 2010

चाँद सी रोटी या रोटी सा चाँद

माँ अब मैं भी रोटियाँ बना लेती हू, कुछ टेढ़ी मेढ़ी, कुछ कच्ची पक्की
चाँद सी तवे पे अपने ही रंग रूप में जलती भुनती
कुछ गोरी गोरी निखरी सी, कुछ काली खट्टी नकचड़ी सी
गुंथे आंटे का रंग बदलता संवरता सा, कुछ सृजन का सा एहसास देता हुआ

सब अच्छा है माँ, अपनी रोटियाँ देख कर बड़ी ख़ुशी होती है
उनमें सब कुछ होता है
वो गोलाई, वो रंग, वो खुशबु
बस एक बात रह सी जाती है
माँ वो आपकी रोटी सी मुलायम कभी न बन पाती है.

1 comment:

rishov said...

aww ab mujhe bhi khana hai chand sa roti :D