वो इस साल की सबसे सर्द रात थी,
इक सुक़ून का चादर और कुछ सिलवटें भी,
इक पुराना रिश्ता, एक नयी अनुभूति, कुछ जादू सा था,
वो दुनिया का सबसे मेहफ़ूज़ और नायाब घेरा था,
मोहब्बत का इंद्रजाल था, सुकून से सरोबार था,
ख़ुद को खोने की ख़ुशी थी,
खुद को और खुद में तुमको पाने पाने का एहसास था,
तुम ही तुम थे और बस चारो तरफ तुम्हारा ही नूर था,
आलिंगन में आरोहन की अनुभूति में बस सब कुछ चूर था,
वो नूर, वो सुरूर, मेरी मोहब्बत, बस जलवा-ऐ-तूर था....
इक सुक़ून का चादर और कुछ सिलवटें भी,
इक पुराना रिश्ता, एक नयी अनुभूति, कुछ जादू सा था,
वो दुनिया का सबसे मेहफ़ूज़ और नायाब घेरा था,
मोहब्बत का इंद्रजाल था, सुकून से सरोबार था,
ख़ुद को खोने की ख़ुशी थी,
खुद को और खुद में तुमको पाने पाने का एहसास था,
तुम ही तुम थे और बस चारो तरफ तुम्हारा ही नूर था,
आलिंगन में आरोहन की अनुभूति में बस सब कुछ चूर था,
वो नूर, वो सुरूर, मेरी मोहब्बत, बस जलवा-ऐ-तूर था....